Tuesday, October 11, 2011

ईश्वर के कृति

संताल की मौखिक साहित्य कहती है कि वो सर्वशक्तिमान ईश्वर कि मैल से बनी है। ईश्वर ने अपने मैल से दो पक्षी बनाया । हंसली हड्डी से मैल निकाल कर इन्होंने दो पक्षी का जोड़ा बनाया, चूँकि हंसली हड्डी से बनी थी इसलिए इनका नाम हांस और हंसली रखा। ईश्वर ने इन दोनों को प्राण दिया और इन दोनों ने दो अंडे दिए जिनमे से दो मानव शिशु का जन्म हुआ । जो संथाल साहित्य में पिल्छु हादाम और पिल्छु बुड्डी कहते है। ईश्वर ने इन दो आदिम मानव स्त्री और पुरुष के लिए कपिल गाय से दूध पिलाने के लिए कहा। ठाकुर और ठाकरान के नाम से जाना जाने वाले परमब्रह्म ने आदिदेव मारांग बुरु (शिव ठाकुर ) और जाहेर एरा (वन देवी ) को इन मानवों की देख भाल के लिए नियुक्त किया। जब ye दोनों शिशु बड़े हुए तो इन्हें लज्जा का अनुभव हुआ और एक दुसरे से मिलने के लिए कतराने लागे । भगवन ने ईद मानव की ये हालत देख उन्हें चिंता हुई । वो परमेश्वर के पास गए और इसकी सुचना दी इसके बाद परमेश्वर ने ठाकरां से कहा वस्त्र देने के लिए। तब माँ परमेस्वरी ने अपना अंचल फाड़ मरंग बुरु को दिया । मरंग बुरु ने इस अंचल के तुकरे kओ दोनों में बाँट दिया। इससे लड़की ने अपना शरीर ढँका और पुरुष के लिए सिर्फ लंगोट तक की ही कपड़े बची।