Monday, September 3, 2012

अच्छी स्क्रीप्ट

जिंदगी में जब रुक कर


कुछ सोच t पाया


कुछ संवेद्नावों का कुंड कुछ सुख सा गया है...


पीछे कुछ यादें थी वो भी अब ऐसे लग रही है


जैसे पैरो तले फिसलते बालू से हो गए है


मैं आज भी इस उम्मीद से खड़ा हूँ कि


किसी दिन मैं उनसे मिलूँगा पार


तब ताक बहुत देर हो जाईगी क्योंकि जिंदगी बड़ी ही घुमाव डर रस्ते कि तरह है


कब कहाँ मूढ़ जाएगी पता ही नहीं चलता


कब कौन तुम्हें पकड़ के रोक ले


समझ में नहीं आता


No comments:

Post a Comment